Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi was written by 16th-century poet Tulsidas. Hanuman Chalisa is a devotion to Lord Hanuman. Whenever you feel something wrong in life read it completely.
HANUMAN CHALISA LYRICS IN HINDI
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनौ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौ पवनकुमार।
बल बुधि विधा देहु मोहि हरहु कलेस विकार॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥ १ ॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥ २ ॥
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥ ३ ॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥ ४ ॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै॥ ५ ॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बंदन॥ ६ ॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥ ७ ॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥ ८ ॥
सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥ ९ ॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥ १० ॥
लाय सँजीवनि लखन जियाए।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥ ११ ॥
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥ १२ ॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥ १३ ॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥ १४ ॥
जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते।
कबी कोबिद कहि सकैं कहाँ ते॥ १५ ॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥ १६ ॥
तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥ १७ ॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥ १८ ॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥ १९ ॥
दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥ २० ॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ २१ ॥
सब सुख लहै तुम्हारी शरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥ २२ ॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनौं लोक हाँक ते काँपे॥ २३ ॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥ २४ ॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥ २५ ॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥ २६ ॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥ २७ ॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोहि अमित जीवन फल पावै॥ २८ ॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥ २९ ॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥ ३० ॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन्ह जानकी माता॥ ३१ ॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥ ३२ ॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥ ३३ ॥
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥ ३४ ॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥ ३५ ॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥ ३६ ॥
जय जय जय हनुमान गुसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥ ३७ ॥
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥ ३८ ॥
जो यह पढे हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥ ३९ ॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥ ४० ॥
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥
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